Chintan & Manthan-"किताब के चंद सफों और पेड़ की डगाल के कुछ चुनिंदा फूलों को एक साथ जोड़ने का हुनर सिर्फ सुई और धागे के पास होता है...लेकिन इस बड़ी सी मशक्क़त के पीछे एक छोटी सी कोशिस होती है...जिससे ये सफे और फूल हमेशा साथ रहते हैं...पर कभी इनके साथ रहने के मंजर की दर्द भरी दास्तान...इन सफों और फूलों से पूछकर देखो ?...ये उफ़्फ़ भी नहीं करते जब सुई-धागे के साथ इन्हें चुभती है और इन्हें साथ रखती है... ये 'चुभन' के एहसास को भूलकर बस 'छुअन' के एहसास को महसूस करते हैं बस...तो कुछ इस तरह से ऐसा ही फलसफा है इस गुमनाम सी जिंदगी का...समझो तो बहुत कुछ न समझो तो कुछ भी नहीं" (saurabh saxena...एक ज़र्रा)
Chintan & Manthan-"किताब के चंद सफों और पेड़ की डगाल के कुछ चुनिंदा फूलों को एक साथ जोड़ने का हुनर सिर्फ सुई और धागे के पास होता है...लेकिन इस बड़ी सी मशक्क़त के पीछे एक छोटी सी कोशिस होती है...जिससे ये सफे और फूल हमेशा साथ रहते हैं...पर कभी इनके साथ रहने के मंजर की दर्द भरी दास्तान...इन सफों और फूलों से पूछकर देखो ?...ये उफ़्फ़ भी नहीं करते जब सुई-धागे के साथ इन्हें चुभती है और इन्हें साथ रखती है... ये 'चुभन' के एहसास को भूलकर बस 'छुअन' के एहसास को महसूस करते हैं बस...तो कुछ इस तरह से ऐसा ही फलसफा है इस गुमनाम सी जिंदगी का...समझो तो बहुत कुछ न समझो तो कुछ भी नहीं" (saurabh saxena...एक ज़र्रा)
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